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अब समय पर खाद आपूर्ति सुनिश्चित करेगी उत्तर प्रदेश सरकार, कृषि मंत्री और रेल मंत्री के बीच हुई बातचीत

अब समय पर खाद आपूर्ति सुनिश्चित करेगी उत्तर प्रदेश सरकार, कृषि मंत्री और रेल मंत्री के बीच हुई बातचीत

किसानों के लिए खाद एक बहुत ही महत्वपूर्ण घटक है, जिसके बिना आज के आधुनिक युग में खेती कर पाना बहुत हद तक संभव नहीं है। इतने महत्वपूर्ण घटक होने के बावजूद कई बार देखा गया है, कि किसानों को खाद समय से नहीं मिल पाती। जिसके कारण किसानों को प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष रूप से नुकसान झेलना पड़ता है। इसलिए अब उत्तर प्रदेश की सरकार ने किसानों को समय पर खाद उपलब्ध करवाने के लिए कमर कस ली है। उत्तर प्रदेश के कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने कहा है, कि यह सुनिश्चित किया जा रहा है, कि किसानों को समय पर गुणवत्तापूर्ण खाद मिले। ताकि किसानों को किसी भी प्रकार की परेशानी न झेलनी पड़े, साथ ही किसानों को खाद की कमी से किसी भी प्रकार का नुकसान न हो।

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किसानों को मिलेगा आसानी से खाद-बीज, रेट में भारी गिरावट इसी सिलसिले में उत्तर प्रदेश के कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव से बातचीत की है। जिसमें उन्होंने ट्रेन के माध्यम से खाद की ढुलाई का मुद्दा उठाया है। साथ ही खाद की ढुलाई में हो रही देरी की तरफ भी ध्यान आकृष्ट कराया है। कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव को बताया है, कि वर्तमान में डीएपी और यूरिया खाद की ढुलाई में बंदरगाह से स्टेशन तक खाद की बोरियों को पहुंचाने में 8 से 10 दिन का समय लग जाता है। साथ ही कई स्टेशन ऐसे हैं, जहां प्रशासन ने खाद की ढुलाई को प्रतिबंधित कर दिया है। जिसके कारण खाद की ढुलाई में अनावश्यक समय लगता है। इस वजह से किसानों को समय पर खाद नहीं मिल पाती और किसानों को बुवाई करते समय परेशानी का सामना करना पड़ता है।

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किसानों को भरपूर डीएपी, यूरिया और एसएसपी खाद देने जा रही है ये सरकार इस पर प्रतिक्रिया देते हुए केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने खाद की ढुलाई में लगने वाले समय को कम करने का आश्वासन दिया है। उन्होंने कहा कि भारतीय रेल अपनी तरफ से भरपूर कोशिश करेगी, जिससे उत्तर प्रदेश जैसे बड़े राज्य में खाद को उपलब्ध करवाने में कम से कम समय लगे। उत्तर प्रदेश के कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने कहा कि उत्तर प्रदेश में कृषि मुख्य व्यवसाय है। यहां 140 लाख हेक्टेयर जमीन में रबी की फसल बुवाई होती है। इसके साथ ही 26 लाख हेक्टेयर जमीन में गन्ने की फसल ली जाती है। फसलों को बिना खाद के उपजाना आसान नहीं है। इसलिए राज्य में खाद की भारी मांग रहती है। इसलिए रेलवे को चाहिए कि उत्तर प्रदेश में खाद की सप्लाई समय पर सुनिश्चित करे, जिससे किसान आसानी से बुवाई कर पाएं।

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अब किसानों को नहीं झेलनी पड़ेगी यूरिया की किल्लत उत्तर प्रदेश के कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने बताया कि इस साल रबी की फसल के समय खाद की आपूर्ति बहुत ही धीमी गति से हो रही है। जिसके कारण रबी की फसल की बुवाई प्रभावित हो रही है। उर्वरक आपूर्तिकर्ता कंपनियों ने जानकारी दी कि भारत के पूर्वी तट पर स्थित बंदरगाहों जैसे- कीनाडा, कृष्णापटनम, गंगावरम, विशाखापत्तनम और पारादीप में खाद के स्टॉक रखे हुए हैं। वहां से रेक उपलब्ध न हो पाने के कारण खाद की जल्द से जल्द आपूर्ति करने में देरी हो रही है। इन बंदरगाहों में 149,800 मिलियन टन खाद वितरण के लिए रखी गई थी। जिसमें से नवंबर तक मात्र 82,143 मिलियन टन खाद की आपूर्ति की जा सकी है। शेष खाद की आपूर्ति जल्द से जल्द पूरी करवाने की कोशिश की जा रही है। सूर्य प्रताप शाही ने केन्द्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव से मांग की है, कि दैनिक आधार पर उत्तर प्रदेश जैसे बड़े राज्य को खाद के 10-12 रैक उपलब्ध कराएं जाएं। फिलहाल राज्य को प्रतिदिन 3 से 4 रेक ही उपलब्ध करवाए जा रहे हैं। उस खाद को सहकारी समितियों के माध्यम से जल्द से जल्द किसानों तक पहुंचाया जा रहा है। रेल मंत्री ने कहा है, कि अभी फिलहाल 25 से 30 रेक रास्ते में हैं जो जल्द ही अपने गंतव्य स्थान पर पहुंच जाएंगे। खाद की मुख्य आपूर्तिकर्ता संस्था इफको(IFFCO) लगातार उत्तर प्रदेश के किसानों की मांग को पूरा करने की कोशिश कर रही है।
किसान भाइयों के लिए यूरिया से संबंधित महत्वपूर्ण जानकारी

किसान भाइयों के लिए यूरिया से संबंधित महत्वपूर्ण जानकारी

कृषकों द्वारा अपनी फसल से ज्यादा उत्पादन प्राप्त करने के लिए यूरिया का इस्तेमाल किया जाता है। यूरिया फसलों की वृद्धि के लिए काफी जरूरी है। परंतु, कुछ फसलों को इसकी आवश्यकता नहीं पड़ती है। यूरिया का उपयोग खेत में काफी मात्रा में किया जाता है। यूरिया डालने के कुछ समय के उपरांत खेत की उपज प्रभावित होने लगती है। विशेषज्ञों के मुताबिक यूरिया एक रासायनिक उर्वरक है, जो कि नाइट्रोजन का एक बड़ा स्रोत माना जाता है। यह फसलों की बढ़वार के लिए काफी आवश्यक है। लेकिन कुछ फसलों को यूरिया की आवश्यकता नहीं होती है।

यूरिया का इस्तेमाल इन फसलों में नहीं होता है

दलहन फसलें जैसे कि अरहर, चना और मटर अपनी जड़ों में नाइट्रोजन स्थिरीकरण की प्रक्रिया करते हैं। इस प्रक्रिया में वे वायुमंडलीय नाइट्रोजन को अवशोषित करते हैं। साथ ही, उसे पौधे के लिए उपयोगी रूप में परिवर्तित करते हैं। इस वजह से दलहन फसलों को यूरिया की आवश्यकता नहीं होती है। रेशेदार फसलें जिनमें सन, जूट और कपास शामिल हैं। इन फसलों को भी यूरिया की जरूरत नहीं पड़ती है। इनके अतिरिक्त बैंगन, मिर्च और टमाटर यूरिया के प्रति संवेदनशील होती हैं। इन फसलों पर यूरिया का उपयोग करने से पत्तियों पर जलन हो सकती है। 

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किसान भाई इन चीजों पर विश्वास कर सकते हैं

मिट्टी परीक्षण रिपोर्ट से आपको पता चल सकता है, कि आपके खेत में कौन-कौन से पोषक तत्वों का अभाव है और कितनी मात्रा में कमी है। इस रिपोर्ट के आधार पर आप उर्वरक का उपयोग कर सकते हैं। साथ ही, कृषि विज्ञान केंद्रों के विशेषज्ञ फसलों के लिए उर्वरक के इस्तेमाल के बारे में सही जानकारी दे सकते हैं। साथ ही, कृषि विश्वविद्यालयों के अनुसंधानों से भी आपको उर्वरक के इस्तेमाल के बारे में सही जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।